सिनेमा पर 5 घंटे से भी ज्यादा देर तक चलने वाली ये क्लासिक बॉलीवुड फिल्में बनी सबसे लंबी और यादगार फिल्मों में से एक
Must Watch Bollywood Movies: भारतीय सिनेमा में कई ऐसी लंबी फिल्में बनी हैं जो अपनी कहानी और प्रस्तुति के कारण खास मानी जाती हैं। इनमें गोविंद निहलानी की तमस (5 घंटे 20 मिनट), जे.पी. दत्ता की LOC कारगिल (4 घंटे 15 मिनट), राज कपूर की मेरा नाम जोकर (4 घंटे) और अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ वासेपुर (5 घंटे से ज्यादा) शामिल हैं। ये फिल्में सिर्फ लंबी होने की वजह से नहीं, बल्कि अपने सामाजिक संदेश, देशभक्ति, भावनाओं और यथार्थवादी अंदाज के कारण दर्शकों के दिलों में जगह बना चुकी हैं।

भारतीय सिनेमा की सबसे लंबी फिल्में
भारतीय फिल्मों में कई क्लासिक और लंबी फिल्में बनी हैं, जिनमें युद्ध, प्यार और सामाजिक जैसे संदेश शामिल मिलते है। इन फिल्मों की खासियत यह है कि अपनी लंबाई के बावजूद ये दर्शकों को ये याद रहती हैं। ‘तमस’, ‘LOC कारगिल’, ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ इनमें सबसे यादगार मानी जाती हैं।

रनटाइम की सबसे लंबी फिल्म
गोविंद निहलानी की ‘तमस’ 1987 में बनी और इसकी लंबाई 5 घंटे 20 मिनट से ज्यादा है। भीष्म साहनी पर आधारित यह फिल्म भारत-पाक के दर्द और हिंसा को दिखाती है। मूल रूप से इसे टीवी मिनी-सीरीज के रूप में बनाया गया था, लेकिन बाद में फिल्म समारोहों में पूरी फीचर फिल्म के रूप में दिखाया गया।

LOC कारगिल (2003)
जे.पी. दत्ता की फिल्म ‘LOC कारगिल’ कारगिल युद्ध पर आधारित है। इसका स्क्रींटाइम 255 मिनट (4 घंटे 15 मिनट) है। फिल्म में अजय देवगन, सैफ अली खान, अभिषेक बच्चन और संजय दत्त जैसे बड़े कलाकार हैं। इसमें सैनिकों की बहादुरी और कारगिल युद्ध के असली मिशन को दिखाया गया है। यह सिनेमाघरों की सबसे लंबी बॉलीवुड फिल्मों में से एक है।

मेरा नाम जोकर (1970)
राज कपूर की ‘मेरा नाम जोकर’ एक इमोशनल फिल्म है, जिसका स्क्रींटाइम 244 मिनट (4 घंटे से ज्यादा) है। यह एक सर्कस जोकर की कहानी है, जो हंसते हुए भी अपने दर्द को छुपाता है। फिल्म उसके जीवन के तीन हिस्सो में दिखाया है। शुरुआत में यह फिल्म असफल रही, लेकिन बाद में इसे ‘कल्ट क्लासिक’ माना गया।

गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)
अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का स्क्रींटाइम 319 मिनट (5 घंटे से ज्यादा) है। झारखंड के वासेपुर में कोयला माफिया और गैंगवार की कहानी पर बनी यह फिल्म दो भागों में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इसमें तीन पीढ़ियों तक चलने वाले बदले, राजनीति और अपराध को दिखाया गया।

इन फिल्मों की खासियत
इन फिल्मों की खासियत केवल इनका स्क्रींटाइम ही नहीं है, बल्कि इनकी कहानियां, किरदार और प्रस्तुति भी इन्हें खास बनाती हैं। चाहे ‘तमस’ का सामाजिक संदेश हो, ‘LOC कारगिल’ की देशभक्ति, ‘मेरा नाम जोकर’ का दर्द हो या ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का यथार्थवादी अंदाज।

Disclaimer
यह जानकारी केवल पढ़ने और समझने के लिए है। किसी भी काम या फैसले के लिए हमेशा विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।