कौन-सी दाल रातभर भिगोनी चाहिए और कौन-सी कुछ घंटों के लिए? न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया हेल्दी डाइजेशन का फॉर्मूला - Photo Gallery
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कौन-सी दाल रातभर भिगोनी चाहिए और कौन-सी कुछ घंटों के लिए? न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया हेल्दी डाइजेशन का फॉर्मूला

Dal Bhigone Ka Sahi Tarika: हमेशा हमें संतुलित भोजन ही करना चाहिए जिसमें अनाज, हरी सब्जियां, फल और दालें । दालों की बात करें तो इनमें प्रोटीन, फाइबर और कई आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद हैं। लेकिन दाल को सही तरीके से पकाना भी बहुत  जरूरी होता है, दाल बनाने से पहले उसे कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखना क्यों आवश्यक होता है, यह बहुत कम लोग जानते हैं आपको बता दें कि ऐसा करनें से दाल न सिर्फ जल्दी पकती है बल्कि पचने में भी आसान होती है आइए जानतें हैं न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन के अनुसार इसके बारें में विस्तार से..

Last Updated: September 5, 2025 14:11:56 IST
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न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन के अनुसार

न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन के अनुसार, दाल को पकाने से पहले भिगोना कई कारणों से जरूरी है। दाल में मौजूद फाइटिक एसिड और टैनिन आयरन, जिंक और कैल्शियम के अवशोषण को रोकते हैं, लेकिन भिगोने से ये कम हो जाते हैं। इसमें पाई जाने वाली ऑलिगोसैकेराइड्स शुगर पेट को पचती नहीं और गैस बनाती है, जो भिगोने पर धुल जाती है।

How Long to Soak Moong, Masoor, Urad & Rajma" - Photo Gallery
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मूंग दाल, लाल मसूर और अरहर दाल

इन दालों को हल्का और आसानी से पचने योग्य माना जाता है। इन्हें पकाने से पहले सिर्फ 30 मिनट तक भिगोना ही काफी है। इससे दाल जल्दी पकती है और पोषण भी सही बना रहता है।

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मूंग छिलका, उड़द छिलका और चना दाल

इन दालों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इन्हें पकाने से पहले 2 से 4 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। ऐसा करने से ये जल्दी गलती हैं और गैस की समस्या भी नहीं होती।

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साबुत मूंग और साबुत मसूर

साबुत दालें मोटे दाने वाली होती हैं और इनमें अधिक समय लगता है। इन्हें पकाने से पहले कम से कम 6 से 8 घंटे भिगोकर रखना जरूरी है। भिगोने से ये नरम हो जाती हैं और पचने में आसान हो जाती हैं।

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साबुत उड़द, लोबिया और मोठ

ये दालें भी भारी और कठोर होती हैं। इन्हें अच्छी तरह गलाने और पोषक तत्व बनाए रखने के लिए 6 से 8 घंटे भिगोना चाहिए। इससे इनका स्वाद भी बेहतर हो जाता है।

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राजमा और सफेद चना

राजमा और सफेद चना प्रोटीन व फाइबर से भरपूर होते हैं, लेकिन काफी भारी माने जाते हैं। इन्हें हमेशा पूरी रात (8–10 घंटे) भिगोकर ही पकाना चाहिए। इससे ये नरम हो जाते हैं और पाचन आसान होता है।

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काला चना

काला चना बेहद पौष्टिक होता है लेकिन इसे गलने में समय लगता है। इसे भी रातभर पानी में भिगोकर रखना सबसे अच्छा होता है। साथ ही पकाते समय तेजपत्ता, बड़ी इलायची और पिप्पली डालने से इसका भारीपन कम हो जाता है और यह आसानी से पच जाता है।

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Disclaimer

प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.