Sawan 2025: एक बार फिर आया सावन लेकर अपने साथ बरसात, चलेगी इसकि बौछार 11 जुलाई से 9 अगस्त तक।
हर साल की तरह, एक बार फिरसे लौट आया सावन का त्योहार। ये त्योहार सिर्फ़ पूजा और अर्चना का ही न्ही बल्कि , हसी, ख़ुशी , खेल और यहाँ तक की महिलाओं के लिए सजने स्वरने का मौक़ा भी होता है । तो आइये जानते है , कि इस सावन कैसे भगवान शिव की पूजा और आराधना करी जाए ,पूजा करते समय किन बातों को खास ध्यान रखना चाहिए, ख़ान पिन में किन मूल बातों का ध्यान रखे और साथ ही हम आपको बतायेंगे सावन से जुड़े अन्य त्योहारों के बारे में चलिए जानते है और इन सब बातों पर प्रकाश डालते है ।

भगवान शिव कि पूजा करते वक्त इन बातों का खास ध्यान रखे
भगवान शिव की पूजा पूरे मन्न के साथ करे। भगवान शिव के पिंडी पर बेलपथर, चंदन , हल्दी , चावल , जल , तिल , शहद आदि । जैसी चीजों का उपयोग करे और भगवान शिव की पूजा के दौरान ओम नमः शिवाय का जाप 108 बार करना चाहिए ।

सावन के दिनों में ख़ान पान का ध्यान
इस दौरान प्याज़, लहसूँन, मास, मच्छी का सेवन न्ही करना चाहिए । शराब, सिगरेट, जैसी चीजों से दूर रहे ।बल्कि फल, सुध पौष्टिक भोजन करना चाहिए

क्यों रखने चाहीये सावन में व्रत ?
ये भी माना जाता है की, सावन के दिनों में व्रत रखने से भगवान शिव से सच्चे दिल से जो माँगो वो मिलने की संभावना बढ़ जाती है । सावन के दौरान 5 सोमवार आते है , और इन 5 सोमवार को व्रत रखना शुभ माना जाता है ।

सावन के प्रतीक और लोककथाएं:
सावन को मानसून का महीना माना जाता है, जो कृषि के लिए बहुत आवश्यक होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन में भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए योग साधना की थी।

सावन के दौरान, आता है महीलाओ का प्रिय त्योहार 'तीज''
तीज के इस अवसर पर महीलाए खूब उल्लास के साथ मजे़ करती है, भगवान शिव को याद कर उनके भजन गाती है। साथ ही साथ वे मेहंदी भी लगाती है और झूला भी झुलती है।

सावन की लोककथाएं और रीति-रिवाज:
सावन के महीने में झूले (झूलेलाल) लगाना बहुत लोकप्रिय है। खासकर शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण के झूले लगाकर उनका पूजन किया जाता है। यह प्रेम, समर्पण और आनंद का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में कई लोक गीत और भजन गाए जाते हैं, जो शिवजी की महिमा का बखान करते हैं। इन भजनों में भक्त अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और शिवजी से आशीर्वाद मांगते हैं।

सावन के प्रमुख त्योहार
जैसा कि पहले बताया, सावन मास में आने वाली महाशिवरात्रि शिवजी का सबसे बड़ा त्योहार है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में कुछ क्षेत्रीय त्योहार भी आते हैं, जैसे रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा के आसपास), जो भाई-बहन के प्यार का पर्व होता है।