“शोले” (Sholay) भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी और यादगार फिल्मों में से एक है, जो 1975 में रिलीज हुई थी। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित यह फिल्म दोस्ती, बदला, साहस और न्याय की अद्भुत कहानी पेश करती है। कहानी एक काल्पनिक गाँव रामगढ़ की है, जो डाकू गब्बर सिंह के आतंक से परेशान है। गाँव के पूर्व पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह अपने गाँव को बचाने और गब्बर से बदला लेने के लिए दो छोटे अपराधियों जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) को काम पर रखते हैं।
फिल्म की खासियत सिर्फ इसकी कहानी ही नहीं बल्कि इसके अविस्मरणीय किरदार, संवाद और संगीत भी हैं। “कितने आदमी थे?”, “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे” और “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना” जैसे डायलॉग भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हो गए।