Janmashtami 2025: जन्माष्टमी 2025 के अवसर पर बीच रात खीरा काटने और नाल काटने की प्राचीन परंपरा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह रीति भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी है और भक्तों के बीच शांति, सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली लाने का माध्यम मानी जाती है। खीरा काटना ताजगी और शुद्धता का प्रतीक है, जबकि नाल काटना जीवन के नए आरंभ और स्वतंत्रता का संकेत देता है। मध्यरात्रि का समय भगवान कृष्ण के जन्म का शुभ मुहूर्त होने के कारण पूजा-अर्चना के लिए बेहद फलदायक माना जाता है। इस परंपरा का पालन करके भक्त न केवल अपनी आस्था प्रगट करते हैं, बल्कि अपने घर और मन को नकारात्मकताओं से मुक्त कर सकारात्मक ऊर्जा से भरते हैं, आइए जानतें हैं इसके बारे में..
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